• संपर्क करें
  • +९१ ९६१६ ७०३ २०९
  • पता
  • रामलला सदन मंदिर, अयोध्या
  • ईमेल
  • info@ramlalasadan.com

प्रकाशन



श्रीमज्जगद्गुरु रामानुजाचार्य

सभी युगों में समय समय पर मानवता को एवं सदर्म को प्रतिष्ठापित करने के लिए महापुरुषों का अवतरण होता रहा है। महापुरुषों ने मानव समाज को सही दिशा एवं दशा प्रदान की है। महापुरषों के प्रयाण के पश्चात्‌ भी उनका चरित्र एवं उनका उपदेश समाज का मार्गदर्शक बनकर मानवता को सुरक्षित रखता है। भगवान के चरित्र की अपेक्षा भक्तों का चरित्र अधिक उपायकारक होता है। क्‍योंकि भगवान के विषय में यह सहज मान्यता होती है की सर्व समर्थ है अतः उन्होंने जो कुछ लीला की तो सब सहज संभाव्य है। अतः कोई आश्चर्य की बात नहीं है। परंतु भक्त तो जीव होते है और हमारे आपके समान इन्हीं परिस्थितियों में रहकर भौतिक जगत के व्याघात को सहते हु एआश्चर्यमय अनेक कार्यो को संपन्न करते हुए समाज के प्रेरणास्त्रोत बनते है। इसी क्रम में भक्ति मार्ग के प्रवर्तक आचार्य श्री रामानुज है। आचार्यचरण श्रीरामानुजाचार्य ने भक्ति की भूमि द्रविड़ देश में अवतरित होकर अपने विलक्षण प्रतिभा के व्दारा श्रीसंप्रदाय को व्यवस्थित रूप प्रदान किया एवं नास्तिक मतों का खंडन कर वैदिक सिद्धांत की रक्षा की। ऐसे महान आचार्य के विस्तृत चरित्र को संक्षेप में प्रस्तुत करने के लिए त्रघु पुस्तिका के रूप में संग्रहीत कर के प्रकशित किया है। इस पुस्तिका से विशेषकर उत्तर भारतीय श्री वैष्णव भक्तों को आचार्य रामानुज के जीवन चरित्र का ज्ञान प्राप्त हो सकेगा।