श्री रामललासदन ट्रस्ट अंतर्गत नंदनी गोशाला कार्यरत
है। प्रमुखतः जो गायें दूध देना बंद कर देतीं हैं, उनको
मालिकों द्वारा छोड़ दिया जाता है और ऐसी गायें कई
बार कत्लखानों मेँ ले जाईं जाती हैं। हिन्दू धर्म मेँ गायों
का अनन्यसाधारण महत्व है। गोसेवा भगवद्सेवा के
समतुल्य है। इस उद्देश्य के लिये गोशाला स्थापित की
गई है।गायोँ का संरक्षण इस संस्था का प्रमुख हेतु है।
गायों के संरक्षण से भारतीय जीवन स्वस्थ बनेगा।
भारतीय भोजन मेँ गाय के दूध, दही, घी आदि का
समावेश स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करने वाला है।गोमूत्र
एवं गोबर आयुर्वेदिक औषधि गुणयुक्त होता है।जैविक
खेती से पौष्टिक घटकयुक्त धान्य उत्पन्न होता है।
गोशाला के द्वारा रोजगार निर्माण होने की संभावना है।
गौ-पालक एवं गायों की देखभाल करनेवाले व्यक्तियों को
सही तरीके से प्रशिक्षित करने का मानस है।इस प्रकार से
गोपालकों और उनके परिवारों को रोजगार प्राप्त हो
सकेगा।
संप्रति गोशाला मेँ १७ गायों की संभाल हो रही है।गोशाला
अयोध्या के मध्यवर्ती भाग मेँ स्थित है।१४×४५ फीट के
दो हाल गायों के लिये बनाए गये हैं। दूसरा हाल (१३×२०
फीट ) का उपयोग चारादि रखने के लिए किया जाता है।
कर्मचारियों के लिए १२×१५ का कमरा है। प्रसाधनगृह की
व्यवस्था है।
गोशाला का मासिक खर्च १००००००/ के करीब है।पांच
कर्मचारी कार्यरत हैं। संस्था का संपूर्ण व्यय दानशूर
दाताओं के द्वारा दी गई दानराशि से चलता है।
गोशाला मेँ गायों की हर प्रकार से देखभाल की जाती
है।उन्हें पर्याप्त मात्रा मेँ चारा, भूसा, गुड आदि खाने के
लिये दिया जाता है।स्वच्छ पानी की व्यवस्था है।
भावी योजनाओं मेँ सर्वप्रथम गायों की बढती संख्या के
अनुसार नये शेड तैयार करना है।आगामी वर्षों मेँ ५०
गायों के रहने की व्यवस्था करने की योजना है। गोशाला
के विस्तारीकरण का मुख्य प्रकल्प है। गोबर एवं गोमूत्र
से विविध व्यावसायिक उत्पादन बनाकर विक्रय करने से
गोशाला की आय मेँ वृद्धी होगी।