पृष्ठभूमि: इस प्राचीन मंदिर ममें श्रीविग्रह बालस्वरूप में है।सन् १९१७ में
श्री स्वामीजी राघवाचार्यजी ने श्री रामलला ट्रस्ट की स्थापना की,
जिसका प्रमुख पद पर श्री स्वामीजी विराजम हैं। सन् २०१२ मे
स्वामीजी इस स्थान के सर्वराहकर नियुक्त हुए।ट्रस्ट की
स्थापना प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार के उद्देश्य से की गई।
संकल्पना: २००९ में स्वामीजी ने दक्षिण भारत की यात्रा की।वहां
के मंदिरों में की जानेवाली पूजा विधि को देखकर उन्होंने
संकल्प लिया कि इसी प्रकार की नारदपांचरात्रआगम विधि से
वैदिक पूजा एवं उत्सव विधान श्रीरामललासदन में हो। दक्षिण के
मंदिरों के सदृश्य एक अद्भुत देवस्थान अयोध्या में भी हो,
जोकि गोपुर, शिखर तथा मंडप से सुशोभित हो। १५०००स्क्वे. फीट
में नवीन मंदिर के निर्माण का प्रारंभ हो चुका है। मंदिर का
जीर्णोद्धार आगामी एक वर्ष में करने का नियोजन है।
नए मंदिर की योजना: (चिह्नित पहले से ही दाताओं द्वारा बुक किए गए हैं।)
कार्य
धन राशि
१. राजगोपुरम (उंचाई ५५ फुट)
३१ लाख
२. उत्तर गोपुरम (३० फुट)
२१ लाख
३. महामंडपम
२० लाख
४.
मन्दिर का प्रमख शिखर (३० फुट)
१५ लाख
✓
५. सत्संग भवन
१५ लाख
६. मुख्य गर्भगृह
१० लाख
✓
७. गरुड़ स्तम्भ
१० लाख
✓
८. पाकशाला तथा भंडार
१० लाख
९. भोजनशाला
१० लाख
१०. भगवान के व ह
५.५ लाख
✓
११. अर्ध मंडपम
५ लाख
१२. पुजारी एवं सेवको का निवास
५ लाख
१३. एतिथि, भक्तो की निवास विद्यास्थ
५ लाख
भविष्यकालीन योजनाएं: श्रीविग्रह की प्राणप्रतिष्ठानंतर मंदिर में दाक्षिणात्य पद्धति से
सभी उत्सव मनाये जायेंगे, जिसमें भगवान की रथयात्रा, पालकी,
ब्रह्मोत्सव आदि हैं।वसंतमंडपम् में प्रमुख उत्सवों के समय
भगवान की उत्सवमूर्ति विराजित होगी। यज्ञशाला में विधिवत
यज्ञादि होंगे। उत्सव के समय दक्षिण भारतीय वादकों के लिए
स्वतंत्र मंडपम् नियोजित है।
नियोजित श्री यमुनाचार्य अतिथि गृह:
अतिथि गृह मंदिर के समीप बनेगा ।इसका प्रावधान १+१ इमारत
का है। तल प्रकोष्ठ में पाकशाला, भोजनशाला ,विद्यार्थियों के
लिये पांच कक्ष हैं। एक कक्ष विशिष्ट अतिथियों के लिये होगा।
पहली मंजिल पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग
समूह कक्ष होंगे। सात अतिथि कक्षों का प्रावधान है।एक
पारिवारिक कक्ष होगा तथा एक कक्ष विशिष्ट अतिथियों के
लिए रहेगा। अतिथीगृह सभी आधुनिक सुविधाओं से सज्ज
होगा।लिफ्ट की सुविधा भी रहेगी। अतिथीगृह के लिए अर्थसहाय्य
करने वाले भक्त अपना अथवा अअपने प्रियजनों का नाम
विशिष्ट कक्ष को दे सकते हैं।इसके साथ ही अन्य सुविधाओं का
लाभ भी ले सकते हैं।